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अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है | President of America Election in Hindi

President of USA (America) Election in Hindi : अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव भारत जैसे आसान प्रक्रिया से नहीं होता है, यहाँ एक लम्बी प्रक्रिया के द्वारा पेचीदे ढंग से राष्ट्रपति का चुनाव होता है. अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है. राष्ट्रपति बराक ओबामा दुनिया के सबसे सफल व ताकतवर राष्ट्रपति माने जाते है.

अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव – How is President of America Election in Hindi

अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव हर चार साल के बाद होता है. अमेरिका के लोकतंत्र को दुनिया में सबसे पुराना माना जाता है, यहाँ के नए राष्ट्रपति को जानने के लिए पूरी दुनिया उत्साहित है.

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की आगामी तारीख 5 नवम्बर 2024 को है.

अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की योग्यता (President of USA America qualifications)

  • 35 वर्ष या उससे अधिक आयु हो.
  • अमेरिका का नागरिक हो, अन्यथा कम से कम 14 सालों से वहां रह रहा हो.
  • 35 साल की उम्र के पहले किसी चुनावी अभियान का हिस्सा होना जरुरी है.
  • राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार किसी अन्य पद के लिए नहीं खड़ा हो सकता है.

अमेरिका में मुख्यता 2 पार्टियाँ है

क्रमांक पार्टी का नाम मुख्य उम्मीदवार
1. डेमोक्रेटिक बर्नी संदेर्स
2. रिपब्लिकन
डोनाल्ड ट्रम्प

ये दो पार्टियों के अंदर उम्मीदवार के लिए अंदरूनी तौर पर चुनाव होते, पार्टी में जिसको अधिक वोट मिलते है, उसे राष्टपति पद का उम्मीदवार बनाया जाता है. बाकि देशों के तरह यहाँ भी चुनावी प्रचार जोर शोर से होता है. डेढ़ साल तक चलने वाले इन चुनाव में बहुत अधिक खर्चा भी होता है, जिसके लिए चुनाव आने के 2 साल पहले से ही, पार्टियाँ चंदा इक्कठा करने लगती है.

चंदा इक्कठा करने के बाद ये पार्टियाँ, अपने दल की पब्लिसिटी के लिए, देश के विभिन्न क्षेत्र में कार्य करती है. इसी के दौरान देश की जनता अपने भावी राष्ट्रपति की पार्टी का चुनाव मन ही मन कर लेती है. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में कितना पैसा खर्च होता है, इसका तो अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है.

अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया (President of US America election process)

  • प्रथम प्रक्रिया – जनवरी से जून तक चलती है, जिसमें पार्टियों के अंदर जो राष्ट्रपति बनना चाहते है, वे लोग पार्टी को अपना नाम देते है. पार्टी सोच विचार कर के राष्ट्रपति के उम्मीदवार की लिस्ट जारी कर देती है. इसका चुनाव 2 तरह से होता है, प्राथमिक व कोकस.
  • द्वितीय प्रक्रिया – इसके बाद पार्टी के अंदर चुनाव होता है, जिससे पार्टी का प्रतिनिधि चुना जाता है. जिसे पार्टी डेलिगेट भी कहते है.
  • तृतीय प्रक्रिया – सभी पार्टी के प्रतिनिधि को मिलाकर, एक बैठक का आयोजन किया जाता है, जिसमें एक-एक करके पार्टी प्रतिनिधि अपनी-अपनी पार्टियों के राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम घोषित करते है. इसी प्रक्रिया में नामाकंन, चुनाव प्रचार होता है. इस प्रचार में टीवी पर इन उम्मीदवारों के बीच वाद-विवाद भी होता है. हर पार्टी अपने हिसाब से प्रचार करती है.
  • चतुर्थ प्रक्रिया – यह अंतिम प्रक्रिया होती है, जिसमें इलेक्टोरल कॉलेज राष्ट्रपति का चुनाव करते है.

विस्तार से जाने अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया के बारे में

प्राथमिक व कोकस –  यह प्रथम प्रक्रिया के दो हिस्से है. पार्टियों को अपने मेंबर्स इक्कठे करने लिए, देश के विभिन्न राज्यों में जाकर प्रचार करना होता है. प्राथमिक दौर में जनता जिस पार्टी के जिस सदस्य को राष्ट्रपति का उम्मीदवार चाहती है, वह उसे मतदान केंद्र में जाकर वोट दे सकती है. इस प्रक्रिया का अमेरिका के संविधान में कोई लिखित अनुछेद नहीं है, यही वजह है, इसके अलावा कोकस प्रक्रिया भी है. इसमें पार्टी की एक बैठक बुलाई जाती है, जहाँ आम आदमी की भी मौजूदगी होती है, लम्बे समय तक यहाँ बहस बाजी के बाद उम्मीदवार की लिस्ट तैयार होती है.

प्रचार प्रक्रिया – ये सबसे महत्वपूर्ण होता है, सभी उम्मीदवार ज्यादा से ज्यादा समर्थक के लिए जीजान से प्रचार करते है. अमेरिका में कुछ स्विंग राज्य है, जहाँ प्रचार सबसे जरुरी माना जाता है, क्यूंकि यहाँ के मतदाता किसी भी पार्टी को वोट दे सकते है. अमेरिका में चुनाव प्रचार की सीमा निर्धारित नहीं है, यहाँ कोई भी पार्टी कितने भी समय पहले प्रचार शुरू कर सकती है. यहाँ चुनाव प्रचार में लगने वाले पैसों की भी सीमा तय नहीं की जाती है.

इलेक्टोरल कॉलेज – इनका चुनाव प्रत्यक्ष रूप से देश की जनता के द्वारा होता है. देश के हर एक राज्य से एक निर्वाचित सदस्य को चुना जाता है. सभी इलेक्टोरल मिलकर से इलेक्टोरल कॉलेज बनता है, जो राष्ट्रपति का सीधे चुनाव करता है. राज्य के  निर्वाचित सदस्य के रूप में पार्टी अपने ही उम्मीदवार उतारती है, ताकि इलेक्टोरल की टीम में उनका समर्थक पहुँच सके. अमेरिका में इलेक्टोरल की टोटल संख्या 538 है. यही इलेक्टोरल राष्ट्रपति के उम्मीदवारों को वोट देकर चुनते है. इलेक्टोरल के चुनाव के बाद आम जनता की राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सेदारी समाप्त हो जाती है. अगर किसी उम्मीदवार को कम से कम 270 वोट हासिल होते है, तभी वह चुनाव जीतता है.

इलेक्टोरों की संख्या हर राज्य में अलग अलग होती है, राज्य की जनसँख्या के हिसाब से इलेक्टोरों का कोटा होता है. बड़े के पास ज्यादा इलेक्टोरल व छोटे के हिस्से में कम आते है. सभी राज्य के निर्वाचक 2 हिस्सों में बटें हुए होते है, सीनेटर व कांग्रेसी.  उम्मीदवार अपनी निगाहें बड़े राज्यों के ओर ही लगाता है.

अमेरिका के उपराष्ट्रपति का चुनाव (Vice President of America Election)

उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल पद्धति से होता है. जो पार्टी अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार खड़ा करती है, वही उम्मीदवार अपनी पार्टी में से उपराष्ट्रपति उमीदवार का चुनाव करता है. इलेक्टोरल को चुनाव के समय 2 वोट देने होते है, एक राष्ट्रपति के लिए दूसरा उपराष्ट्रपति के लिए. लेकिन ये बात ध्यान देने योग्य है, इलेक्टोरल एक ही राज्य के 2 उम्मीदवारों को वोट नहीं दे सकता है. लेकिन पहले ऐसा नहीं था, इलेक्टोरल सिर्फ एक वोट राष्ट्रपति पद के लिए डालते है, जिसे ज्यादा वोट मिलते थे वह राष्ट्रपति बनता था, उससे कम वाले को उपराष्ट्रपति बनाया जाता था.

अमेरिका व विभिन्न देश के लोग इस लम्बी चुनाव प्रक्रिया पर शुरू से ध्यान नहीं रखते है. लेकिन इस प्रक्रिया के बारे में हमें पता होना चाहिए, यही सोचकर ये आर्टिकल आपके साथ शेयर किया. 

FAQ – अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव

अमेरिका का राष्ट्रपति परोक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा चार साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है (या प्रतिनिधि सभा द्वारा अगर निर्वाचक मंडल किसी भी व्यक्ति को बहुमत नहीं देता है)।
अमरीकी संविधान के अनुच्छेद 2 (4) के मुताबिक अमेरिका के राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव 2024 60वां राष्ट्रपति चुनाव होगा, जो 5 नवंबर, 2024 को होने वाला है।
जार्ज वाशिङ्गटन 1789 में निर्वाचन मण्डल के सर्वसम्मत मत के पश्चात सबसे पहले राष्ट्रपति बने थे।
अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2 (4) के मुताबिक अमेरिका के राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति पर महाभियोग देशद्रोह, भ्रष्टाचार या किसी घोर अपराध पर ही लगाया जा सकता है।

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