Informational

Why was India called a Golden Bird in Hindi | भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा गया?

हमारा देश भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था | Why was India known as the Golden Bird in Hindi

एक समय था जब भारत दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल हुआ करता था. जिसके चलते हर कोई हमारे देश पर शासन करने का सपना देखता था. भारत पर शासन करने के मकसद से यहां पर कई लोगों द्वारा आक्रमण और कई राजाओं द्वारा राज भी किया गया है.

वहीं हमारे देश पर अंग्रेजों ने भी काफी लंबे समय तक अपनी हुकूमत चलाई है. और इस दौरान भारत को कई तरह के नुकसान भी हुए हैं. जहां पहले भारत देश को एक सोने की चिड़िया होने का दर्जा मिला था, वहीं अब भारत को मिला ये दर्जा पूरी तरह खत्म हो चुका है. 

प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया इसलिए कहा जाता था क्योंकि भारत में काफी धन सम्पदा मौजूद थी. 1600 ईस्वी के आस-पास भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1305 अमेरिकी डॉलर थी जो कि उस समय अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन से भी अधिक थी. भारत की यह संपत्ति ही विदेशी आक्रमणों का कारण भी बनी थी. 

हम सभी भारतीय लोग बचपन से सुनते आ रहे हैं कि भारत कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था इसी के कारण विदेशी आक्रान्ताओं और अंग्रेजों ने इस देश को अपना गुलाम बनाया था और अपार संपत्ति इस देश से लूटकर ले गये थे. इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर भारत को सोने की चिड़िया किन तथ्यों के आधार पर कहा जाता था.

भारत का सोने की चिड़िया कहे जाने के कारण (Reasons Why India Was Known As The Golden Bird in Hindi)

प्राचीन भारत वैश्विक व्यापार का केंद्र था. प्राचीन काल में भारत, खाद्य पदार्थों, कपास, रत्न, हीरे इत्यादि के निर्यात में विश्व में सबसे आगे था. भारत उस समय विश्व का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र था. कुछ लोग मानते हैं कि भारत प्राचीन काल में केवल मसालों के निर्यात में आगे था, उनकी जानकारी के लिए यह बताना जरूरी है कि भारत मसालों के अलावा कई अन्य उत्पादों के निर्यात में भी अग्रणी देश था.

भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुएं: भोजन: कपास, चावल, गेहूं, चीनी जबकि मसालों में मुख्य रूप से  हल्दी, काली मिर्च, दालचीनी, जटामांसी इत्यादि शामिल थे. इसके अलावा आलू, नील, तिल का तेल, हीरे, नीलमणि आदि के साथ-साथ पशु उत्पाद, रेशम, चर्मपत्र, शराब और धातु उत्पाद जैसे ज्वेलरी, चांदी के बने पदार्थ आदि निर्यात किये जाते थे.

भारत विश्व का सबसे बड़ा व्यापारी

1000 वर्षों के मुगल / अन्य आक्रमणकारियों के शासन के बाद भीविश्व की जीडीपी में भारत की अर्थव्यवस्था का योगदान 25% के बराबर था. इसी समय में अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा किया था लेकिन जब अंगेज भारत को छोड़कर गए तो भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान मात्र 2 to 3% रह गया था, लेकिन आज भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.

मुगलों के शासन शुरू करने से पहले, भारत 1 A.D. और 1000 A.D. के बीच दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी. जब मुगलों ने 1526-1793 के बीच भारत पर शासन किया, इस समय भारत की आय (17.5 मिलियन पाउंड), ग्रेट ब्रिटेन की आय से अधिक थी. वर्ष 1600 AD में भारत की प्रति व्यक्ति GDP 1305 डॉलर थी जबकि इसी समय ब्रिटन की प्रति व्यक्ति GDP 1137 डॉलर, अमेरिका की प्रति व्यक्ति GDP 897 डॉलर और चीन की प्रति व्यक्ति GDP 940 डॉलर थी. इतिहास बताता है कि मीर जाफर ने 1757 में ईस्ट इंडिया कंपनी को 3.9 मिलियन पाउंड का भुगतान किया था. यह तथ्य भारत की सम्पन्नता को दर्शाने के लिए बड़ा सबूत है.

1500 A.D के आस-पास दुनिया की आय में भारत की हिस्सेदारी 24.5% थी जो कि पूरे यूरोप की आय के बराबर थी.

वहीं भारत को सोने की चिड़िया कहे जाने के अन्य कारणों को नीचे बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

सिक्कों को बनाने वाले पहले देशों में शामिल

600 B.C के आस-पास महाजनपदों ने चांदी के सिक्के के साथ सिक्का प्रणाली शुरू की थी. ग्रीक के साथ-साथ पैसे पर आधारित व्यापार को अपनाने वाले पहले देशों में भारत का स्थान अग्रणी था. लगभग 350 ईसा पूर्व, चाणक्य ने भारत में मौर्य साम्राज्य के लिए आर्थिक संरचना की नींव डाली थी.

मोर सिंहासन (What Is Peacock Throne)

भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे जो एक सबसे बड़ा कारण हुआ करता था, वो मोर सिंहासन था. इस सिंहासन की अपनी एक अलग ही पहचान हुआ करती थी. कहा जाता था कि इस सिंहासन को बनाने के लिए जो धन इस पर लगाया गया था, उतने धन में दो ताज महल का निर्माण किया जा सकता था. लेकिन साल 1739 में फ़ारसी शासक नादिर शाह ने एक युद्ध जीतकर इस सिंहासन को हासिल कर लिया था. आखिर ऐसा क्या खास था इस सिंहासन के बारे में और किसका था ये सिंहासन इसके बारे में नीचे बताया गया है.

peacock throne

मोर सिंहासन का इतिहास (Mayur Singhasan History)

मोर सिंहासन का निर्माण शाहजहां द्वारा 17 वीं शताब्दी में शुरू किया गया था. इस सिंहासन के निर्माण के लिए शाहजहां ने काफी खर्चा किया था. इस सिंहासन को बनाने के लिए करीब एक हजार किलो सोने का प्रयोग किया गया था. इतना ही नहीं इस सिंहासन में कई बेश कीमती पत्थर जड़े हुए थे. इन पत्थरों के अलावा इस सिंहासन की शान कोहिनूर हीरे ने और बढ़ा दी थी. ये हीरा भी इस सिंहासन में लगा हुआ था. वहीं इस सिंहासन की कीमत की बात करें, तो इस की कीमत 4.5 अरब की बताई जाती थी, जो कि भारत के रुपए के अनुसार 450 करोड़ की है.  

कोहिनूर हीरा का इतिहास (Kohinoor Diamond History )

कोहिनूर हीरे का जिक्र आप लोगों ने कई बार सुना होगा. आपको पता ही होगा कि ये हीरा भारत के पास हुआ करता था, जिसके बाद ये हीरा कई लोगों के हाथों से गुजरते हुए, आज इंग्लैंड की रानी के ताज की शान बढ़ा रहा है. उस समय पूरे विश्व में इस हीरे का आकार सबसे बड़ा हुआ करता था. वहीं कहा जाता है कि ये हीरा 5000 साल पुराना था. कोहिनूर हीरे का वजन 21.6 ग्राम है और बाजार में इसकी वर्तमान कीमत 1 अरब डॉलर के लगभग आंकी जाती है. यह हीरा गोलकुंडा की खदान से मिला था और दक्षिण भारत के काकतीय राजवंश को इसका प्राथमिक हकदार माना जाता है.

kohinoor diamond

भारत के उस्मान अली खान थे दुनिया के सबसे अमीर आदमी  (The Wealth of Mir Osman Ali Khan)

हैदराबाद के शासक उस्मान अली खान को टाइम मैंगजीन द्वारा साल 1937 में दुनिया का सबसे अमीर आदमी घोषित किया गया था. इतना ही नहीं टाइम मैंगजीन ने उनकी फोटों अपनी पत्रिका के कवर पेज पर भी लगाई थी और मैंगजीन के मुताबिक उस वक्त उनके पास दुनिया में सबसे ज्यादा संपत्ति हुआ करती थी, जो कि उस समय अमेरिका की अर्थव्यवस्था के दो प्रतिशत के बराबर मानी जाती थी.

उस्मान अली खान का शासन (Osman Ali Khan history)

उस्मान अली खान ने साल 1911 में हैदराबाद के शासक के तौर पर गद्दी संभाली थी. आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य उस वक्त हैदराबाद का ही हिस्सा हुआ करते थे. निजाम की शान और शौकत देखकर उस समय भारत में राज करने वाले ब्रिटिश इंडिया भी हैरान रह गई थी. कहा जाता है कि उनके पास कई तरह के हीरे हुए करते थे. निजाम इतने अमीर थे कि उनके पास हीरे की गोल्फ की गेंद हुआ करती थी. वहीं इस वक्त इस हीरे को दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा हीरा नामित किया गया है और इसकी कीमत 10 करोड़ रूपए के आस पास बताई जाती है. इतना ही नहीं निज़ाम ने साल 1947 में ब्रिटेश की रानी को उनकी शादी में हीरे का हार तोहफे में दिया था,  जिस हार को निज़ाम ऑफ हैदराबाद के हार के नाम से आज भी जाना जाता है. इसके अलावा दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश की मदद करने के लिए उन्हें दो लड़ाकू जहाज दिए थे और उनकी इस मदद के लिए उनको साल 1946 में ब्रिटिशों ने सम्मानित भी किया था.

अपनी खुद की थी मुद्रा (State Bank of Hyderabad Origen)

उस्मान अली खान के पास अपनी खुद की मुद्रा भी थी, जो कि हैदराबाद में चलती थी. उस मुद्रा को उस्मानिया सिक्का कहा जाता था. इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद उनके शासान के काल में ही खोला गया था.

निजाम के पास थी 50 रोल्स रॉयस (MIR Osman Ali Khan Rolls Royce Story)

कहा जाता है कि एक बार एक ब्रिटिश अधिकारी ने उनका मजाक बनाया था और कहा था कि उनकी रोल्स रॉयस गाड़ी खरीदने की क्षमता नहीं है. इस मजाक का जवाब निजाम ने 50 रोल्स रॉयस खरीदा कर दिया था. इतना ही नहीं इन गाड़ियों का प्रयोग वो कूड़ा उठाने के लिए किया करते थे.

उस्मान अली खान के शासन के बारे में पढ़कर आपको तो ये अंदाज लग गया होगा, कि उनके पास काफी दौलत हुआ करती थी. वहीं भारत को सोने की चिड़िया होने का दर्जा मिलने के पीछे एक कारण उनकी दौलत भी हुआ करती थी.

महमूद ग़जनी की लूट

महमूद गजनी का सोमनाथ के मंदिर पर हमला करने के पीछे 2 सबसे बड़े उद्येश्य थे, एक इस्लाम का प्रचार करना और दूसरा भारत से धन की लूट करना. महमूद गजनी ने नवम्बर 1001 में पेशावर के युद्ध में जयपाल (964 से 1001 C.E. तक हिंदू शाही राजवंश के शासक थे) को हराया था. गजनी ने इस युद्ध में किले से 4 लाख सोने के सिक्के लूटे और एक सिक्के का वजन 120 ग्राम था. इसके अलावा उसने राजा के लड़कों और राजा जयपाल को छोड़ने के लिए भी 4.5 लाख सोने के सिक्के लिए थे. इस प्रकार उसने आज के समय के हिसाब से लगभग 1 अरब डॉलर की लूट सिर्फ राजा जयपाल के यहाँ की थी. जबकि इस समय भारत में जयपाल जैसे बहुत से धनी राजा थे.

सोमनाथ मंदिर की लूट

सन 1025 में महमूद ने गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर लूट लिया और इसकी ज्योतिर्लिंग तोड़ दी थी. इस आक्रमण से उसने 2 मिलियन दिनारों की लूट की जिसकी अनुमानित कीमत आज की तारीख में 45 करोड़ रुपये के लगभग बैठती है. उस समय के हिसाब से यह बहुत बड़ी लूट थी.

मंदिरों में सोने के भंडार

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कुछ समय पहले एक आकलन में कहा था कि भारत में अभी भी 22,000 टन सोना लोगों के पास है जिसमें लगभग 3,000-4,000 टन सोना भारत के मंदिरों में अभी भी है. एक अनुमान के मुताबिक भारत के 13 मंदिरों के पास भारत के सभी अरबपतियों से भी ज्यादा धन है. यदि मंदिर के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाये तो भारत कल भी सोने के चिड़िया था और आज भी है.

भारत के कुछ मंदिरों में इतना सोना रखा हुआ है कि कुछ राज्यों की पूरी आय भी मंदिरों की आय से कम है. अगर वर्ष 2018-19 के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि केरल सरकार की वार्षिक आय 1.03 लाख करोड़ है जो कि केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के किसी गर्भ गृह के एक कोने में ही मिल जायेगा.

भारत के राजाओं की मेहनत

भारत के महान शासकों ने अपने शासनकाल में अपने-अपने राज्य की तरक्की के लिए कई कार्य किए थे, जिससे की उनका राज्य हमेशा से धनी रहा करता था. कहा जाता है कि मुगल शासन के दौरान देश की आय ब्रिटेन के पूरे राजकोष से भी बड़ी थी. इसके अलावा भारत में ही सबसे पहले वस्तु विनिमय प्रणाली चलती थी. भारत कई चीजों का आयात और निर्यात भी किया करता था.


निष्कर्ष (Conclusion)

भारत देश शुरू से ही हर चीज को लेकर धनी रहा है. हमारे देश में खेती के जरिए कई चीजों का उत्पाद कई वर्षों से किया जाता रहा है. वहीं भारत की जमीन पर कई मात्रा में सोने और हीरे भी पाए जाते थे. वहीं भारत में मौजूद इन्हीं चीजों को अंग्रेजों और दूसरे देश के राजाओं द्वारा लूट लिया गया था और जिसके कारण हमारे देश को काफी हानि हुई थी. अगर भारत में इन लोगों द्वारा शासन नहीं किया जाता, तो शायद आज हम ये कहे सकते थे की भारत एक सोने की चिड़िय़ा है. लेकिन समय के साथ-साथ भारत का स्थान दुनिया में कम होता चला गया और ये सवाल पीछे छोड़ गया की भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था. 

उपर्युक्त आकंडे सिद्ध करते हैं कि प्राचीन भारत में अकूत संपत्ति थी जिसके कारण यहाँ पर विदेशी आक्रमणकारियों के हमले होते रहे थे. लेकिन अगर बीते समय को छोड़कर वर्तमान में देखा जाये तो भारत की स्थिति विकसित देशों की तुलना में निश्चित रूप से ख़राब है. लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि भारत पूरे विश्व में बहुत तेजी से अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहा है और वह समय बहुत जल्द आएगा जब लोग इस देश को फिर सोने की चिड़िया के नाम से बुलायेंगे.


दोस्तों, मै आशा करती हूँ की आपको ”Why was India called a Golden Bird in Hindi | भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा गया?” वाला Blog पसंद आया होगा अगर आपको मेरा ये Blog पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करे।

अगर आपकी कोई प्रतिक्रियायें हो तो हमे जरूर बताये। आप मुझे सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते है, जल्दी ही आपसे एक नए ब्लॉग के साथ मुलाकात होगी तब तक के मेरे ब्लॉग पर बने रहने के लिए धन्यवाद, जय हिन्द।

 

यह भी पढ़ेंः Albert Einstein Biography in Hindi | अल्बर्ट आइंस्टीन का प्रेरणादायी जीवन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!