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हनुमान जयंती | हनुमान चालीसा में ब्रह्मांड का कौन सा रहस्य छुपा हुआ है

हनुमान जयंती – हनुमान चालीसा में ब्रह्मांड का कौन सा रहस्य छुपा हुआ है

हनुमान चालीसा की चौपाई में है सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी का गणित

जैसे-जैसे विज्ञान तरक्की करता जा रहा है, हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी गई कई बातें सही साबित होती जा रही हैं। ये प्रमाणित करता है कि भारतीय संस्कृति दुनिया को हजारों साल पहले ही ब्रह्मांड के बारे में ज्ञान दे चुकी थी।

आज से हजारों साल पहले हनुमान चालीसा ने एक श्लोक में धरती और सूर्य की दूरी के बारे में बताया गया था। उस वक्त न तो दूरबीन हुआ करती थी और न ही दूरी नापने के लिए आज की तरह के उन्नत यंत्र हुआ करते थे। इसके बावजूद जो लिखा गया वह अक्षरशः सही निकला।

वैज्ञानिको के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है। लेकिन सैकड़ों साल पहले ही तुलसीदास द्वारा लिखी गई हनुमान चालीसा के एक दोहे में यह बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की कितनी दूरी है।

दरअसल गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी हनुमान चालीसा के इस चौपाई में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का वर्णन है।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

जानते हैं इसके अर्थ के बारे में। यह दोहा अवधी भाषा में लिखी हुई है, इस दोहे का हिंदी भाषा में अर्थ है कि हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था।

दोहे के हर एक शब्द के गणित को वैदिक ज्योतिष के आधार पर ऐसे समझते हैं-

जुग (युग) का मतलब चार युगों कलयुग, द्वापर, त्रेता और सतयुग से है। कलयुग में 1200 साल, द्वापर में 2400 साल, त्रेता में 3600 और सतयुग में 4800 साल माने गए हैं, जिनका कुल योग 12000 साल (वर्ष) है। 
जुग (युग) = 12000 वर्ष
एक सहस्त्र = 1000
एक जोजन (योजन) = 8 मील
भानु = सूर्य

युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु यानि सूर्य की दूरी
12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
एक मील = 1.6 किमी
96000000 x 1.6 = 153600000 किमी

इसी के आधार पर गोस्वामी तुलसीदास ने बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है।

यह उतनी ही दूरी है, जितनी नासा ने अपनी गणना (152 मिलियन किमी) के बाद सूर्य और धरती के बीच की बताई है। इससे यह साबित होता है कि सनातन धर्म में कही गई बातें विज्ञान पर आधारित हैं।

दोहे का पूरा प्रसंग इस प्रकार है

हनुमानजी को भगवान शंकर का अवतार माना गया है और उनको जन्म से ही कई दिव्य शक्तियां प्राप्त हैं। हनुमान चालीसा के अनुसार बहुत छोटी अवस्था में जब बाल हनुमान खेल रहे थे, तब उन्हें सूरज ऐसे दिखाई दे रहा था जैसे वह कोई मीठा फल हो। उस फल को प्राप्त करने के लिए बाल हनुमान सूर्य तक उड़कर चले गए। अपनी दिव्य शक्तियों के बल से उन्होंने अपना आकार इतना बड़ा कर लिया कि सूर्य उनके मुंह में समा गया। सभी देवी-देवता जब डर गए तब इंद्र ने बाल हनुमान की ठोड़ी पर वज्र से प्रहार कर दिया। इस प्रहार से केसरी नंदन की ठोड़ी कट गई और इसी वजह से वे हनुमान कहलाए। संस्कृत में ठोड़ी को हनु कहा जाता है।

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